![]() |
ब्रह्मचारी जन्म 1913 बुडापेस्ट हंगरी मृत्यु 1941 लाहौर व्यवसाय चित्रकार |
1924 में भारत प्रवास के दौरान इन्होंने अजंता राजपूत तथा अन्य गुफा चित्रों के संपर्क से जल रंगों में रेखा चित्रों का निर्माण प्रारंभ के दिया था 1929 में वह पुनः पेरिस चली गई जहां पर कला की विधिवत शिक्षा हुई वहां के कला विद्यालय में लुसियां साइमों से कला शिक्षा प्राप्त की इसी बीच भ्रमण के दौरान उन्होंने पिकासो ब्राक पाल सेजान गोगा की कला के संपर्क में आई वह पाल गागीन की ताहिती से विशेष रूप से प्रभावित हुई 1934 में पुनः भारत लौटने पर उन्होंने शिमला में समरहिल नाम पर अपना स्टूडियो स्थापित कर चित्रण कार्य प्रारंभ किया इसी समय पुनः एक बार भारत यात्रा पर निकल पड़ी इस यात्रा में वह बंगाल के रवीन्द्र नाथ टैगोर तथा नंदलाल बसु से प्रेरणा पाकर भारतीय स्त्रियों को एक नई तकनीक में चित्रण प्रारंभ किया जो आगे चलकर भारतीय चित्रकला में उनकी मौलिक पहचान बनी
उन्होंने अपने पत्र पत्रिकाओं जैसे आर्ट एंड प्रीवियस, इंडियन आर्ट टुडे, ट्रेड्स आफ आर्ट इन इंडिया नामक लेख भी लिखे अमृता के 30 चित्र दिल्ली की आधुनिक कला दीर्घा में तथा शिमला के विमान सुंदरम के व्यक्तिगत संग्रहालय में भी अनेक चित्र संग्रहित हैं 28 वर्ष की अवस्था में 1941 में लाहौर में उनकी मृत्यु हो गई
![]() |
Ancient Story teller |
अमृता शेरगिल के चित्र में भारतीय जनजीवन के सामाजिक पक्षों को प्रमुखता के साथ चित्रित किया गया है नारी जीवन पर पर्याप्त चित्रण किया है स्त्रियों की मुख्य मुद्रा पर विषाद प्रमुख भाव रहा है जो सभी आकृतियों में लगभग में व्याप्त था इनका प्रिय रंग लाल था भारतीय दृष्टिकोण को अपनी कला की आधारशिला मानती थी अपनी कला चरित्र स्वभाव तथा व्यक्तित्व में अमृता को लंदन निवासी कवि बायरन का भारतीय नारी संस्कृत कहा गया है
अमृता शेरगिल के चित्र |
एक टिप्पणी भेजें